सोमवार, 24 सितंबर 2007

अगर



डायरेक्टर-अनंत महादेवन
रेटिंग-॰॰
अनंत महादेवन ऐसे डायरेक्टर हैं जिन्होंने अपनी शुरुआत साफ सुथरी फिल्म दिल मांगे मोर से की थी, पर जब फिल्म फ्लॉप हो गई तो उन्होंने थ्रिलर का झांसा देकर सेक्स बेंचने का कामयाब फॉर्मुला निकाला. पिछले साल उन्होंने इमरान हाशमी और उदिता गोश्वामी को लेकर थ्रिलर फिल्म एक्सर बनाई थी. फिल्म हिमेश रेशमिया के म्यूजिक और इमरान-उदिता के बोल्ड सीन्स की वजह से कमाऊ फिल्म साबित हुई थी, लेकिन इस बार अनंत का वह अचूक दांव बेअसर हो गया. फिल्म अगर के एक सीन में तुषार कपूर अपनी गर्लफ्रेंड सोफी को अपने बॉस के साथ बेडरुम में आपत्तिजनक स्थिति में देख लेता है , तो सोफी उसे सफाई देती है कि करियर एडजस्टमेंट के लिए ये सब करना पड़ता है. बड़े महानगर की लड़कियों की इस सोच को अनंत ने बहुत ही खूबसूरती से दिखाने का प्रयास किया है. फिल्म में जानवी(उदिता) देश की सबसे बड़ी इवेंट कंपनी चलाती हैं. शहर का फेमस साइकेटिस्ट डॉ आदित्य (श्रेयस) उसका हसबैंड है. उसे गलत फहमी हो जाती है कि उसके हसबैंड का किसी दूसरी लड़की से अफेयर है.वह भी अपनी कंपनी के इवेंट मैनेजर आर्यन(तुषार कपूर) से अपनी जरूरतें पूरी करने लगती है. पर जल्द ही उसे पता चलता है कि जानवी भी सोफी की तरह ही उसे यूज कर रही है. आर्यन जानवी के खून का प्यासा हो जाता है, तभी उसे पता चलता है कि सारे खेल के पीछे तो डॉ आदित्य है. श्रेयस ने अपने निगेटिव शेड से दर्शकों को इम्प्रेस करने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने साबित किया कि वह एक वर्सटाइल एक्टर हैं. उदिया तो देखकर ऐसा लगता है कि जैसे उन्होंने मल्लिका शेरावत से कुछ टिप्स लिए हैं. फिल्म में उन्होंने जमकर ग्लैमर की बारिश की है. साथ ही भारतीय कामकाझी महिला के रोल को उन्होंने बहुत ही संजीदगी से उभारा है. तुषार ने थोड़ा निराश किया है. बोल्ड सीन्स करते समय वह अनंत के पिछले नायक इमरान की तरह दबंग नहीं दिखते. फिल्म का म्यूजिक सुनकर लगेगा कि कंपोजर मिथुन ने अपनी पिछली फिल्म द ट्रेन की धुनों को ही दोहरा दिया है. गीतकार सैयद कादरी के गाने ऐसे हैं कि दर्शक उन्हें सिनेमाहाल से बाहर निकलते ही भूल जाते हैं.

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