बुधवार, 4 जून 2008

बुंदेलखंड यानी बिकाऊ आइटम




बुंदेलखंड पिछले कुछ समय से खबरिया चैनलों और अखबारों के लिए बिकाऊ आइटम बना हुआ है। उस इलाके के इर्द गिर्द होने वाली घटनाओं को भी ज्यादा बिकाऊ बनाने के लिए लोग बुंदेलखंड का नाम लगा देते हैं। इस दौरान बुंदेलखंड से कई सौ किलोमीटर दूर बैठकर वहां की एक्सक्लूसिव खबरें कानपुर और लखनऊ से बैठकर ही अखबार के लोगों ने दर्जनों वाईलाइन इकट्टा कर लीं। साहब आलम ये है कि बुंदेलखंड का कोई कुत्ता भी आजकल अगर मर जाता तो उसे अच्छा-खासा कवरेज मिल जाता है।आखिर बुंदेलखंड क्यों? विदर्भ क्यों नहीं ? जहां कि स्थिति शायद बुंदेलखंड से ज्यादा बत्तर है। वहां बुंदेलखंड से कई गुना लोगों ने खुदखुशी कर चुके हैं। मुझे इसका एक ये कारण समझ में आता है कि बुंदेलखंड का इस्तेमाल राजनीतिक दल चुनावी मुद्दा बनाकर हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। विदर्भ के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। साथ ही बुंदेलखंड में राहुल गांधी ने ज्यादा दौरे किए हैं। एक दिग्गज अँग्रेजी अखबार के लखनऊ संस्करण के पहले पन्ने पर एक खबर छपी है कि (फूड लूट इन बुंदेलखंड) मतलब एक ऐसी वारदात जिसमें रोटियों की लूट हो गई है। ये पहला ऐसा मौका है जब इस इलाके में इस तरह की घटना हुई है। वगैरह-वगैरह। खैर खबर बड़े अखबार के पहले पेज पर थी , तो उसका फॉलो-अप तो होना ही था। आज मैंने वहां से पुलिस अधिकारियों और कुछ स्थानीय लोगों से बात की तो घटना का एंगल छपी खबर के एंगल से एकदम अलहदा निकला। पुलिस अधिकारियों ने फोन उठाते ही नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोग मामले को क्या से क्या बना देते हैं। आप लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। ऐसा ही रहा तो लोगों की विश्वनीयता खत्म हो जाएगी....वगैरह-वगैरह। मैंने सोचा कि यार अकाल पीड़ित बुंदेलखंड के नाम पर लोग क्या-क्या कर रहे हैं। ये एक चिंता का विषय है। हमें मंथन करना होगा कि अपनी खबरों को सनसनीखेज खोज बनाने के लिए उन पहलुओं को न सामने लाएं जो शायद वास्तविक हैं ही नहीं।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

इसी सब से तो खबरों/चैनलों पर से भरोसा उठता जा रहा है.

आपकी चिन्ता जायज है.

बेनामी ने कहा…

i never saw this kind of change in a journalist. i'm not happy because your pen has been changed but a filmi masala reporter and "shabdo ka jadugar" wrote an paragraph on such a serious issue like bundelkhand...... really bundelkhand is big issue but now it's became 'bekau'.....
anywys keep writing.....