रविवार, 2 मार्च 2008

मुंहफट बादशाह


लगता है बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान को बड़बोलेपन के पतिंगे ने डस लिया है। इसीलिए आजकल वह किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं। पिछले दिनों फिल्मफेयर पुरस्कारों के दौरान उन्होंने सैफ अली खान के साथ मिलकर बॉलीवुड के तमाम नायकों की खिल्ली तो उड़ाई ही, साथ ही फिल्म आलोचकों को अपने लपेटे में लिया। हद तो तब हो गई जब उन्होंने आलोचकों के साथ-साथ उनकी मां और बहनों पर भी फब्तियां कसीं।बेचारे आलोचकों ने शाहरुख के दरबारी चमचों की तरह ओम शांति ओम में उनके अभियन के गुणगान नहीं गाये, तीन महीने से दबे गुस्से और प्रतिशोध की उल्टी शाहरुख ने फिल्मफेयर में कर दी। इस दौरान उन्होंने खिलाड़ी अक्छय कुमार को लेकर भी खूब चुटकियां लीं. आमिर और सलमान का भी माखौल उड़ाया। असल में जिस तरह से अक्छय कुमार की फिल्मों को लेकर टिकट खिड़की पर मारामारी होने लगी है उससे किंग खान को अपना सिंहासन के आसपास भूकम्प जैसी स्थिति का पूर्वाभास होने लगा है। उन्हें यह कतई नागवार गुजरा कि वेलकम ने ओम शांति ओम से ज्यादा की धन उगाही की। एक समय वक्त हमारा है और ऐलान जैसी दर घटियापे की फिल्में करने वाले अक्छय कुमार से आज उन्हें सुपरिस्टारी ताज को खतरा महसूस होने लगा है।शहंशाह अमिताभ बच्चन पर तो वह महीने दो महीने में तीखे प्रहार करते ही रहते हैं, पर शाहरुख को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि इस जमाने ने ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और किंग ऑफ रोमांस राजेश खन्ना को भुला दिया, तो वह किस खेत की शकरकंद हैं। विनम्रता किसी भी सुपरस्टार को महान बनाती है। हमें शाहरुख और उनकी चक दे इंडिया और स्वदेस जैसी फिल्मों पर गर्व है, पर जिस तरह से वह बड़बोलापन दिखा रहे हैं वह उनकी तरह के किसी भी सितारे को शोभा नहीं देता। लोकिन सैफ अली खान का बड़बोलापन लोगों की समझ से परे है.....? आखिर वो इतना क्यों इतरा रहे थे...? शायद अभी वह इस जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं है कि जो भी उनकी फिल्में सफल हुई हैं, वो उनके अभिनय नहीं अपितु यशराज बैनर और गरमागरम दृश्यों की वजह से। आज भी दर्शक उनके नाम पर मल्टीप्लेक्स में टिकट खरीदते समय दलदल में फंसने जैसा खतरा महसूस करता है।